मसान की होली , बरनसी की धुन

यह धुन सुनकर, मन में उठता है एक अजीब सा भाव। जीवों की आत्माएँ, अंत की ओर , और फिर भी, यह धुन उन्हें जीवित बनाती है।
यह होली, समाज में , एक अलग ही रूप लेती है।
संगीत की ताकत, मौत को पार करती है । यह धुन, एक कहानी सुनाने वाली ।

धूल बहारों से रंगी मसान की होली|

यह विचित्र प्रकार की होली है। जहाँ रंगों का बांधव होता है, वहीं उसकी गंध भी मिट्टी से आती है। यहाँ धूल में घुलते हुए, पृथ्वी का रंग दिखता है। धूम्रपान से सजी मृत्यु की उनके होली में प्रकृति की झलक भी छिपी होती है।

मृत्यु से जीवन की कहानी : मसान की होली

यहाँ इस कलंकित भूमि पर, जहाँ अन्थी जीवों की उपस्थिति होती है, होली का रंग मनाया जाता है। यह एक ऐसा उत्सव है जो विश्वास देता है कि जन्म अनन्त है और आत्मा की सीमा को पार करता है।

हवा में रंग की लहरें दौड़ती हैं, यहाँ हर एक उत्सव का जश्न मना रहा है।

विचित्र रंगों से सजा हुआ, यह स्थान मृत्यु की नाजुकता दिखाता है।

यह उत्सव हमें याद दिलाता है कि समय का महत्व है।

आत्माओं का उत्सव: मसान में रंगों की शक्ति

यहाँ अपने पूर्वजों की आत्माओं का प्रेम करने के लिए मसान में रंगों की महिमा मनाया जाता है। आस्था और विश्वास के साथ लोग रंगीन त्यौहार में शामिल होते हैं जो शांत वातावरण बनाते हैं। भोजन, संगीत और नृत्य के माध्यम से वे आत्माओं की शक्ति को स्वीकार करते हैं।

यह उत्सव एक ज्वलंत दृश्य प्रस्तुत करता है|

वरनासी के भव्य मसान, रंगों में डूबा हुआ

ऊपर उठता सूर्य पल्ले वाले आकाश को छू लेता है और प्राचीन मस्जिदों के ऊपर चांदी की किरणें पड़ती हैं। वरनासी का यह नज़ारा, एक आकर्षक दृश्य है जो हरकोई को अपनी ओर खींचता है।

यहाँ मौजूद प्रत्येक मकबरा, एक वास्तुकला का नमूना है जो आपकी आँखों को परेशान करता है। रंग-बिरंगे पत्तियों से सजे हुए ये मकबरे, अपनी अद्भुतता से हर किसी को विस्मित कर देते हैं।

यहां उत्सव भी अद्भुत है। मंदिरों के ध्वनि और विविध संगीत की धुनें, हवा में लहराती हैं। यहां

मृतकों को भी प्रसन्नता दिलाती है मसान की होली

इस दीवाली में, जब रंगों का उत्सव मनाया जाता है, तो मसान के पास भी एक अलग ही हर्षोल्लास छा जाता है। लोक यहाँभी मिट्टी में रंगों का एक छोटा सा त्यौहार मनाता masan ki holi है। यह मान्यता है कि मृतकों को भी इस उत्सव का पर्व में शामिल होना चाहिए। प्रेम अमर होता है, और यह दृष्टिकोण मृतकों को भी इस इस सृष्टि में जोड़ता है।

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